
नई दिल्ली.15 नवंबर।
सुनील कुमार जांगड़ा.
लेखक एवं पूर्व आईपीएस सुरेश कुमार शर्मा की कलम द्वारा स्वभाव की सरलता पर विशेष अंश:-एक बार की बात है एक गांव में एक भोला नाम का लड़का रहता था । वह नाम से भी भोला था और स्वभाव से भी भोला था । वह ईश्वर भक्त भी था , वह दिन भर मेहनत करता और अपने यहाँ आने-जाने वालों की सेवा करता और सबसे यही कहा करता था कि ईश्वर पर भरोसा रखों । ईश्वर कभी अपने बन्दों को शर्मिंदा नहीं होने देता है। ओर पूरे गांव वाले उस पर विश्वास करते थे और अपनी कीमती सामान भी उसके पास रख देते थे। और भोला ईमानदारी से उसे वैसा ही लौटाता था ।
उसके चार दोस्त थे । वह उससे चिढ़ते थे क्योंकि हर कोई भोले की तारीफ करता था और उनको बोलते थे की कुछ सीखो भोले से की वह दिनभर मेहनत भी करता है और ईश्वर को याद भी करता है ।
इसीलिए वो भोले को परेशान भी करते रहते थे। भोला माँस-मच्छी नही खाता था फिर भी वह उससे बनवाकर खाते थे । और भोला तो भोला था वो भी दोस्तों को बड़े प्यार से बनाकर खिलाता था और कभी क्रोधित नहीं होता था।
एक दिन भोले की ज्यादा तारीफ से चिढ़कर उन दोस्तों ने भोले को सबके सामने बेइज्जती करने का प्लान बनाया और उन्होंने एक अंगूठी अलग तरह की बनवायी और सोचा कि यह भोले को अमानत के तौर पर देते है और उसे चुराकर सबके सामने शर्मिंदा करेंगें और उन्होंने गाँव के मुखिया को वह अँगूठी दी और कहा हम चार-पाँच दिन के लिए बाहर जा रहे है , भोला हमे मिल नही रहा है पता नहीं कहाँ चला गया तो आप यह अँगूठी भोले को दे देना । इतना कहकर वो चले गये। और मुखिया ने वह अँगूठी भोले को दे दी ।
और वो चारों ने रात को धीरे से भोले के घर मे घुसकर वो अँगूठी चुरा ली ताकि वह अँगूठी दे नहीं पायेगा तो पूरे गाँव मे उसकी बदनामी होगी ।और वो बाहर चले गए ।
जब वो चार-पाँच दिन बाद वह आये तो थके हुए थे उन्होंने भोले के पास खबर पहुँचा दी कि वो आ गए है और बाजार से मछली ला रहे है तो खाना बनाने का इंतजाम कर ले ।
इस पर भोला खुश हो गया क्योंकि उसे खिलाने-पिलाने में बहुत मजा आता था । तो उसने सोचा कि वो आ ही रहे है तो उनकी अमानत भी निकाल कर रख दूँ । ओर वह अँगूठी ढूढ़ने लगा पर उसे मिली नहीं । और वह बहुत दुखी हुआ क्योंकि वह दोस्तों को जानता था कि वो अब उसके दोस्त उसे सबके सामने शर्मिंदा करेंगें ।
ऐसा सोचकर वह ईश्वर से प्रार्थना करने लगा और कहने लगा की—- हे ईश्वर तू तो जानता है कि मेरे मन मे कोई पाप नहीं है अब तू ही मुझे शर्मिंदगी से बचा ले वरना तू तो जानता है कि मेरे दोस्त क्या करेंगें । ऐसा कहते हुए उसकी आँखों से आँसू गिरने लगे ।
इतने में दरवाजा खटखटाने की आवाज आयी उसने उठकर दरवाजा खोला तो देखा कि उसके दोस्त हाथ मे मछली लिए खड़े है । उसने सबको अंदर बुलाया और पानी पिलाकर खाना बनाने में लग गया ।
वो चारों भोले के चेहरे पर चिन्ता के भाव पढ़ चुके थे और मन ही मन खुश हो रहे थे ।
थोड़ी देर में भोला खाना बनाकर ले आया और उसने सबको बड़े प्यार से खाना खिलाया । खाना खा लेने के बाद चारों ने एक दूसरे से इशारे में कहा कि अब अँगूठी माँग लो ।
तो उसमें से एक ने कहा भोला वो हमारी अमानत तो दे दो वो बहुत कीमती है मेरे पिताजी की दी हुई निशानी है । इस पर भोला अंदर गया और थोड़ी देर में आकर बोला ये लो तुम्हारी अँगूठी ।
अँगूठी देखकर चारों आश्चर्य चकित हो गए । और उनको समझ में नहीं आ रहा था की भोला ये अँगूठी कहां से लाया ।
उनमें से एक ने पूछ लिया कि ये अँगूठी तुम कहाँ से लाये । भोले ने कहा ये तुम्हारी ही है ना : इस पर वो चारों बोले हाँ पर तुम कैसे लाये ।
तो भोला तो भोला था उसने कहा कि –सच बोलु तो मुझसे ये अँगूठी घूम गयी थी । और में बहुत उदास था पर मुझे अपने ईश्वर पर विश्वास था कि वो मुझे शर्मिंदा होने से बचायेगा । और मेने जब खाना बनाने के लिये मछली को काटा तो उसके पेट मे से ये अँगूठी निकली । ऐसा बोलकर भोला फुट फुट कर रोने लगा और कहने लगा ईश्वर कभी अपने भक्तों को शर्मिंदा नहीं होने देता ।
इतना सुनते ही वो चारों भोले के पैर में गिर पड़े और माफी मांगने लगे । इस पर भोले ने एकदम से उन्हें उठाया और कहने लगा । तुम क्यों माफी मांग रहे हो , माफी तो मुझे माँगनी चाहिए । गलती तो मैने की थी अँगूठी घुमाकर ।
इस पर वो चारों ने कहा कि भोले वो अँगूठी हमने तुम्हारे यहाँ से चुराकर तालाब में फेंक दी थी और वह मछली के जरिये तुम तक आ गयी । सच मे तुम बहुत महान हो । बस हमें माफ कर दो।
और भोले ने माफ करने में एक पल भी नही लगाया । और उन चारों के पैर पकड़ लिए और कहने लगा में तुम लोगों का एहसान कैसे चुकाऊंगा । क्योंकि तुम्हारी वजह से मुझे मेरे ईश्वर की रहमत देखने को मिली और फुट फुट कर रोने लगा ।
जो ईश्वर पर विश्वास रखता है और अपने आप में भोलापन ले आता है मतलब किसी से भी जलन या नफरत नही करता और ईश्वर पर विश्वास रखता है तो ईश्वर उसकी लाज हर सूरत में रखता हैं ।
