वृन्दावन/नई दिल्ली.21 नवंबर।
सुनील कुमार जांगड़ा.

गौभक्त संजीव कृष्ण ठाकुर जी श्रीधाम वृन्दावन द्वारा भगवद् चिंतन में कहा कि जब आप कुछ नया करते हैं तो गलतियां भी स्वाभाविक हो जाती हैं। यदि आपसे अनायास एक गलती हो जाती है तो वह अवश्य क्षम्य है पर उसे छुपाने के लिए झूठ बोलकर दूसरी गलती करना यह दंडनीय है। गलती हो जाना कोई समस्या नहीं पर एक गलती को बार-बार दोहराना यह अवश्य बहुत बड़ी गलती है। गलती हो जाना एक बात है, लेकिन उस गलती को छिपाने का प्रयास करना उससे भी बड़ी गलती है।
स्वामी विवेकानंद जी कहा करते थे कि यदि आपने अपने जीवन में कभी कोई गलती नहीं की है तो उसका सीधा सा अर्थ यह है कि आपने अपने जीवन में कुछ नया नहीं किया है अथवा कुछ बड़ा नहीं किया है। हमें अपनी गलती को स्वीकारना आना चाहिए। कोई भी गलती हो जाने पर आपकी स्वीकारोक्ति ही आपको दूसरों की नजरों में क्षमा का अधिकारी भी बना देती है। गलती हो जाना भी गलत नहीं है, बस गलत को गलत न मानना ही सबसे बड़ी गलती है।

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