सम्मेलन में ऑर्थोडॉन्टिक्स में गुणवत्तापूर्ण उपचार मानकों की आवश्यकता पर जोर
भारत का डेंटल टूरिज्म क्षेत्र 2030 तक $4,597.8 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद

फरीदाबाद, 21 फरवरी।
वंदना.
ऑर्थोडॉन्टिक्स में गुणवत्ता अच्छी चिकित्सा सेवाएं, मरीजों की सही देखभाल और नैतिकता बनाए रखने के लिए जरूरी है। मानव रचना डेंटल कॉलेज (एम आर डी सी), स्कूल ऑफ डेंटल स्टडीज (एस डी एस), मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज (एम आर आई आई आर एस) में आयोजित 28वें आई ओ एस पोस्टग्रेजुएट कन्वेंशन 2025 में ऑर्थोडॉन्टिक प्रैक्टिस में समान गुणवत्ता मानकों की आवश्यकता पर चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने नैतिक, क्लीनिकल और नियामक पहलुओं पर जोर देते हुए कहा कि विभिन्न क्लीनिकल व्यवस्थाओं में एकरूपता जरूरी है।
डॉ. पुनीत बत्रा, आयोजन अध्यक्ष, आई ओ एस पीजी कन्वेंशन, अध्यक्ष –आई ओ एस एवं प्रो-वाइस चांसलर, हेल्थ साइंसेज एवं प्रिंसिपल, एम आर डी सी, ने कहा, “ऑर्थोडॉन्टिक्स में नई तकनीकों और उपचार पद्धतियों का तेजी से विकास हो रहा है, लेकिन गुणवत्ता की बुनियाद स्थिर बनी रहनी चाहिए। मानकीकृत दिशानिर्देश, सतत कौशल विकास और नैतिक प्रथाएं दीर्घकालिक सफलता और रोगियों के विश्वास के लिए आवश्यक हैं।” उन्होंने यह भी जोर दिया कि ऑर्थोडॉन्टिक्स केवल योग्य ऑर्थोडॉन्टिस्ट्स द्वारा ही किया जाना चाहिए।
भारतीय सरकार चिकित्सा पर्यटन, विशेष रूप से डेंटल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठा रही है, जिससे अंतरराष्ट्रीय रोगियों के लिए प्रक्रियाएं आसान हो रही हैं। ऑर्थोडॉन्टिस्ट्स इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वे किफायती दरों पर ब्रेसेज और क्लियर एलाइनर्स जैसी उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, जिससे भारत वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख डेंटल टूरिज्म हब बन रहा है।
डॉ. संजय लाभ, सचिव, आई ओ एस, ने ऑर्थोडॉन्टिक्स में गुणवत्ता प्रबंधन और नैतिक विचारों पर चर्चा करते हुए कहा कि “रोगी की संतुष्टि और सर्वोत्तम परिणामों के लिए सभी क्लीनिकल सेटअप में मानकीकृत उपचार प्रोटोकॉल आवश्यक हैं।”
डॉ. राजीव अहलूवालिया, प्रमुख, नेशनल डेंटल बायोएथिक्स यूनिट, यू एन ई एस सी ओ चेयर इन बायोएथिक्स, भारत, और डीन, छात्र कल्याण, संतोष डीम्ड यूनिवर्सिटी, दिल्ली, ने ऑर्थोडॉन्टिक्स में नैतिक और कानूनी पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “ऑर्थोडॉन्टिक्स में लगभग 47% मुकदमे चिकित्सकों और रोगियों के बीच खराब संवाद के कारण होते हैं। पारदर्शी संचार नैतिकता को बनाए रखने और कानूनी विवादों को कम करने में मदद कर सकता है।”
डॉ. सलील नेने, अध्यक्ष, इंडियन बोर्ड ऑफ ऑर्थोडॉन्टिक्स (आई बी ओ) और प्रोफेसर, एम.ए. रंगूनवाला डेंटल कॉलेज, पुणे, तथा डॉ. आशीष गर्ग, निदेशक एवं डिप्लोमेट, आई बी ओ, अरविंदो कॉलेज ऑफ डेंटिस्ट्री, इंदौर, ने आई बी ओ की गुणवत्ता सुरक्षा में भूमिका पर चर्चा की। डॉ. गर्ग ने कहा, “सटीक और विस्तृत क्लीनिकल रिकॉर्ड न केवल एक नियामक आवश्यकता है, बल्कि प्रभावी उपचार योजना और रोगी देखभाल का अनिवार्य हिस्सा भी है।”
सम्मेलन में डॉ. श्रीदेवी पद्मनाभन, अध्यक्ष-निर्वाचित, आई ओ एस, और डॉ. अजीत कालिया, प्रमुख, ऑर्थोडॉन्टिक्स विभाग, एम.ए. रंगूनवाला कॉलेज ऑफ डेंटल साइंसेज, पुणे, ने आई बी ओ फेज-III परीक्षा में क्लीनिकल केस श्रेणियों और कठोर मूल्यांकन प्रक्रिया पर चर्चा की।
यह सम्मेलन ऑर्थोडॉन्टिक उपचार में गुणवत्ता सुनिश्चित करने और रोगियों को सर्वोत्तम लाभ देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ।
भारतीय ऑर्थोडॉन्टिक सोसाइटी (आई ओ एस) के बारे में
भारतीय ऑर्थोडॉन्टिक सोसाइटी (आई ओ एस) भारत के ऑर्थोडॉन्टिस्ट्स का प्रमुख पेशेवर संगठन है। इसकी स्थापना 1963 में मुंबई में एक स्टडी ग्रुप के रूप में हुई थी और इसे 5 अक्टूबर 1965 को आधिकारिक रूप से स्थापित किया गया। 5,000 से अधिक सदस्यों के साथ,आई ओ एस निरंतर शिक्षा और व्यावसायिक विकास को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।
मानव रचना डेंटल कॉलेज के बारे में
मानव रचना डेंटल कॉलेज (एम आर डी सी), 2006 में स्थापित, मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज (एम आर आई आई आर एस) का एक अभिकाय संस्थान है। यह एन ए ए सी ए++ मान्यता प्राप्त और यू जी सी कैटेगरी 1 विश्वविद्यालय है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार और डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता प्राप्त यह कॉलेज एन आई आर एफ 2024 रैंकिंग में उत्तर भारत का नंबर 1 निजी डेंटल कॉलेज है। एम आर डी सी देश के नौ निजी डेंटल कॉलेजों में से एक है जिसे एनएबीएच मान्यता प्राप्त है, जो गुणवत्ता और नवाचार के प्रति इसकी प्रतिबद्धता दर्शाता है।